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        *🥀 जकात की अहमियत 🥀* 



            *पोस्ट - 1* 

       ❗ *क़ारून की हलाकत* ❗

🌴 क़ारून *हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम* के चचा यसहर का बेटा था। अल्लाह ने उस को बे पनाह दौलत से नवाज़ा था। हत्ता कि उस के खज़ानों की चाबियां ऐसे 40 अफ़राद उठाते थे, जो आम मर्दों से ज़्यादा ताक़तवर थे।

        ✨जैसा कि *कुरआने अज़ीम* में इरशादे बारी तआला है :

📖 *‘‘और हमने उस को इतने खज़ाने दिये जिन की कुंजियां एक ज़ोर आवर जमाअत पर भारी थी।‘‘*
(पारह 20 सूरतुल क़सस की आयत 76)

🌴 जब अल्लाह ने बनी इसराइल पर ज़कात का हुक्म नाज़िल फ़रमाया तो क़ारून हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम के पास आया और आप से ये तय किया कि 1000 दिनार पर एक दिनार, 1000 दिरहमो पर एक दिरहम जब कि 1000 बकरियो पर एक बकरी और इसी तरह दीगर चीज़ों में से भी हज़ारो हिस्से ज़कात देना। 
(या‘नी हर चीज का हजारवां हिस्सा *जकात* होगी)

👉🏽 चुनान्चे, जब उस ने घर जा कर अपने माल की ज़कात का हिसाब किया तो वो बहुत ज़्यादा माल बन रहा था, *उस के नफ़्स ने इतना ढेर सारा माल देने की हिम्मत न की,*

👉🏽 लिहाज़ा उसने बानी इसराइल को जमा करके कहा कि तुमने मूसा की हर बात में इताअत की, अब वो तुम्हारे माल लेना चाहते है, क्या कहते हो ?
👉🏽उन्होंने कहा तुम हमारे बड़े हो जो चाहे हुक्म दो।

🌴 क़ारून ने कहा की फुला बद चलन औरत के पास जाओ और उससे एक मुआवज़ा मुक़र्रर करो कि वो हज़रते मूसा पर तोहमत लगाए, जब ऐसा होगा तो बनी इसराइल हज़रते मूसा को छोड़ देंगे।

..............चुनान्चे क़ारून ने उस औरत को 1000 दिरहम और 1000 दिनार दे कर इस बात पर राज़ी किया कि वो *हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम* पर तोहमत लगाए।

⚡ अगले दिन क़ारून ने बनी इसराइल को जमा किया और हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम के पास आ कर कहने लगा कि बनी इसराइल आप का इन्तिज़ार कर रहे है, आप उन्हें वाअज व नसीहत फरमाए।

            *हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम* तशरीफ़ लाए और बनी इसराइल को नसीहत करते हुवे मुख़्तलिफ़ गुनाहो की सज़ाए बयान फ़रमाई। 

क़ारून कहने लगा : क्या ये हुक्म सब के लिये है, चाहे आप ही क्यों ना हो ?

👉🏽 आप ने फ़रमाया : ख्वाह में ही क्यू न होऊ। कहने लगा बनी इसराइल का ख्याल है कि आप ने फुला औरत के साथ बदकारी की है।

👉🏽 हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा उसे बुलाओ।

⚡ वो आई तो *हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम* ने फ़रमाया तुझे उस ज़ात की क़सम ! जिस ने बनी इसराइल के लिये दरिया फाड़ा और उसमे रस्ते बनाए और तौरेत नाज़िल की, सच बात कहो।

⚡ आप का बयान सुन कर वो औरत डर गई और उसे अल्लाह के रसूल पर बोहतान लगा कर उन्हें इज़ा देने की जुरअत न हुई, उसने अपने दिल में कहा कि इस से तौबा करना बेहतर है। 

...........चुनान्चे उसने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम से अर्ज़ की, कि अल्लाह की क़सम ! जो कुछ क़ारून कहलवाना चाहता है वो झूट है, सच तो ये है की इसने मुझे कसीर माल का लालच दिया ताकि में आप पर तोहमत लगाऊ।

👆🏽 ये सुन कर हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम अपने रब के हुज़ूर रोते हुए सज्दे में गिरे और ये अर्ज़ करने लगे : *या रब ! अगर में तेरा रसूल हु तो मेरी खातिर क़ारून पर अपना गज़ब फ़रमा।*

⚡ अल्लाह ने आप की तरफ वही फ़रमाई कि मेने ज़मीन को आप की फ़रमा बरदारी करने का हुक्म दिया है, आप इस को जो चाहे हुक्म दे।


*(बाकी अगली पोस्ट में इंशा अल्लाह)*

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात पेज 3-4



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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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