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  *🥀 जकात की अहमियत 🥀*  



            *पोस्ट - 3* 

       ❗ *फर्ज़िय्यते ज़कात* ❗


⚡ *उम्मते मुहम्मदिय्या (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर भी ज़कात की अदाएगी फ़र्ज़ की गई है।*

📖 चुनान्चे, कुराने मजीद में अल्लाह रब्बुल इज्जत इरशाद फ़रमाता है :

 *और नमाज़ क़ाइम रखो और ज़कात दो।*
(पारह 1 सूरतुल बक़रह आयत 43)


👉🏽*ज़कात अरकाने इस्लाम में से एक रुकन है।* 

☘ *अल्लाह के महबूब ﷺ (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)* का फरमाने अज़मत निशान है : 

          “इस्लाम की बुन्याद 5 बातो पर है, इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद उसके रसूल है, नमाज़ क़ाइम करना, ज़कात अदा करना, हज करना और रमज़ान के रोज़े रखना।”

❗ ज़कात की अहमिय्यत का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है कि कुरआने मजीद में नमाज़ और ज़कात का एक साथ 3⃣2⃣ मर्तबा ज़िक्र आया है।

            ❗ *अहमिय्यते ज़कात* ❗

🌴 कोई भी मुल्क चाहे मआशी तौर पर कितना ही तरक़्क़ी यकता (developed) क्यू न हो, लेकिन उसमे लोगो का एक ऐसा तबक़ा ज़रूर होता है जो मुख़्तलिफ़ वुजुहात के बाइस गरीबी व मोहताजी का शिकार होता है। 

*ऐसे लोगो की कफालत की जिम्मेदारी अल्लाह ने साहिबे हेसिय्यत अफ़राद के सुपुर्द की है।*

👉🏼.............चुनान्चे अल्लाह ने मालदारों पर *ज़कात* फ़र्ज़ की ताकि वो अपनी ज़कात के ज़रिए मुआशरे (society) के कमज़ोर और नादार तबके की मदद करे और दौलत चन्द लोगो की मुठ्ठियों में क़ैद होने के बजाए जरूरियात मन्द अफ़राद तक भी पहुचती रहे और यु मआशरे में मआशी तवाज़ुन की फ़ज़ा क़ाइम रहे।

👉🏼 *याद रहे कि अगर अल्लाह चाहता तो सब को दौलत मन्द बना देता और कोई शख्स गरीब न होता,* लेकिन उसने अपनी मशिय्यत से किसी को अमीर बनाया तो किसी को गरीब, ताकि अमीर को उस की दौलत और गरीब को उसकी गुर्बत के सबब आज़माए। 

           ✨ अल्लाह रब्बुल इज्जत कुरआन शरीफ में इरशाद फरमाता है :

📖 *वोही है जिसने ज़मीन में तुम्हे नायब किया और तुममे एक को दूसरे पर दरजो बुलंदी दी कि तुम्हे आज़माए उस चीज़ में जो तुम्हे अता की।*

(पारह 8 सूरतुल अनआम आयत 165)

👉🏽 यानी आज़माइश में डाले कि तुम नेमत व जाहो माल पा कर कैसे शुक्र गुज़ार रहते हो और बाहम एक दूसरे के साथ किस किस्म के सुलूक करते हो।

👉🏽 मालुम हुआ की दुन्या दारुल इम्तिहान है, या नी इम्तेहान और आजमाइश का घर है, लिहाज़ा हमे चाहिये कि हर हुक्म खुदावन्दि को अपने लिये अज्रो सवाब का ज़खीरा इकठ्ठा करे। 

*फिर ज़कात तो एक ऐसी इबादत है, जिसमे हमारे लिये दुन्या व आख़िरत में ढेरो फवाइद और फ़ज़ाइल रखे गए है।*


(जारी है........... बाकी अगली पोस्ट में इंशा अल्लाह)

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, पेज 7



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*🏁 MASLAKE AALA HAZRAT 🔴*

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