शबीना
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴
*🥀 शबीना 🥀*
*पोस्ट -12*
✏️ रमज़ान की किसी रात में नफ्ल नमाज़ जमाअत से अदा करते हैं। और उस में एक या चन्द हाफिज़ों से पूरा कुर्आन सुनते हैं इस को शबीना कहते हैं। आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ अलहिर्रहमा बरेलवी ने इसको मकरूह लिखा है और इस की इजाज़त नहीं दी है।
*📚 (फतावा रज़विया जिल्द नं 7 सफहा 72 मतंबुआ रजा फाउंडेशन लाहौर)*
मकरूह होने की वजह यह है कि जमाअत की जाती है और लोगो को शामिल करके पूरा कुर्आन पढ़ा जाता है और आम तौर पर लोग इसे बोझ समझते हैं और शरमा शरमी में शरीक रहते हैं। सदरउश्शरिया हज़रत मौलाना अमजद अली रहमतुल्लाह अलैह* फ़रमाते हैं।
आम तौर पर इस ज़माने में जो शबीना पढ़ा जाता है कि एक रात में पूरा कुरआन पढ़ा जाता है इस पढ़ने की नौअियत (तरीका) ऐसी होती है कि जल्दबाजी मे हुरूफ़ तो हुरूफ़ अल्फ़ाज तक खा जाते हैं कुरआने करीम को सही तौर पर नही पढ़ते और सामअईन (सुन्ने वाले) में कोई लेटा है कोई चाय पी रहा है कुछ ऐसी ही:हालत होती है जिसकी वजह से उलमा ने शबीना नाजाईज़ होने का हुक्म दिया है।
*📚 (फतावा अमजदिया ज़िल्द 1 सफ़हा 340)*
हां अगर कोई साहब अकेले नमाज़ या बगैरे नमाज़ के एक रात में एक या इस से भी ज़्यादा कुर्आन की तिलावत करें तो कुछ गुनाह नहीं लेकिन जमाअत में ज़्यादा लम्बी किरत की इजाज़त नहीं।
*📚 रमज़ान का तोहफ़ा सफ़हा 17,18*
*✍️मौलाना ततहीर अहमद रज़वी बरेलवी*
https://chat.whatsapp.com/CoTrYIar9XdB3OW6o2jeiX
*👉 अगली पोस्ट*
👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑
*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
Comments
Post a Comment