ग्यारह महीने काम एक माह आराम
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*🥀 ग्यारह महीने काम एक माह आराम 🥀*
*👉 पोस्ट- 4*
✏️ यह एक मशवरह है कोई शरअई हुक्म नहीं क्योकि बहुत से लोग रमज़ान में कामधाम की वजह से या तो रोज़ा रख ही नहीं पाते या रखते हैं तो उन पर बहुत भारी पड़ता है इस लिये उलमा ने फ़रमाया है कि रमज़ान में उतना ही काम करे जो रोज़ा रखकर आसानी से कर सके लिहाज़ा ग्यारह महीने काम करे कमाये और हो सके तो रमज़ान में आराम और इतमिनान से रोजे रखें और इस माहे मुबारक को इबादत व तिलावत में गुजारें।
आजकल अक्सर लोग जो काम धंधे के लिये पागल से बने घूम रहे हैं यह पेट की दो रोटी और तन के दो कपड़ों के लिये नहीं बल्कि इन्होने अपने शौक अरमान और खर्च बढ़ा लिये हैं उनकी पूर्ति के लिये इन्हें रात दिन फुरस्त नही है आजकल ब्याह शादी रस्मो रिवाज खाने पीने ओढ़ने बिछोने घर मकान बनाने के कितने खर्चे तो वह हैं जो आदमी जरूरत की वजह से नही बल्कि शान शेखी दिखाने या यारो दोस्तों के कहने सुन्ने की वजह से करता है कि ऐसा नहीं करूंगा तो लोग क्या कहेंगे यह नहीं होगा तो क्या कहेंगे यह सब बड़े बेवकूफ होते है कि जो दूसरों के कहने में आकर या उनको दिखाने के लिये अपने आप को बर्बाद कर लेते हैं।
बहरहाल हमारा मशवरह हमारे भाईयों के लिये यही है कि ग्यारह महीने कमायें और रमज़ान का महीना नमाज़ और ज़िक्र शुक्र में गुज़ारें रमज़ान में जहाँ तक मुमकिन हो सफ़र से भी बचें।
और जो शख़्स रमज़ान में रोजा रखने वाले नौकर नौकरानियों या कोई अफसर अपने मातहत रोजेदार मुलाज़मीन के साथ नर्मी और आसानी का बर्ताव करे उनसे कम से कम काम ले या अल्लाह तौफीक वुसत और हिम्मत दे तो बे काम के तनख्वाह और उजरत दे दे तो ऐसा शख्स बड़े अजर का मुस्तहक है और साहिबे ईमान हो तो यकीनन वह जन्नत का हकदार है और उम्मीद है कि दुनिया में भी अल्लाह तआला उसको बहुत नवाज़ेगा।
*📚रमज़ान का तोहफ़ा सफ़हा 5 6*
*✍️मौलाना ततहीर अहमद रज़वी बरेलवी*
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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
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