चाँद देखने, ईद करने से मुतआलिक मशवरह
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*🥀 चाँद देखने, ईद करने से मुतआलिक मशवरह 🥀*
✏️ ईद-उल-फितर के चाँद के बारे में लोग बहुत परेशान रहते हैं। सारी सारी रात इधर उधर फिरते और जागते हैं जब कि हदीसे पाक में रसूले पाक का साफ इरशाद है कि *29* को चाँद देखा जाये तो ठीक अगले दिन रोज़ा न रखो ईद मनाओ और बादल, गर्द, गुबार किसी वजह से नज़र न आये तो तीस रोज़े पूरे करो।
अगर आपको या आपकी बस्ती वालों को *29* का चाँद दिखाई न दिया और आप तक शरअन सबूत भी न पहुँचा तो भले ही दूसरे मकामात पर ईदें मनाई जायें लेकिन आपने रोज़ा रखा आप पर हरगिज़ कोई गुनाह नहीं जब गुनाह नहीं तो फ़िर परेशान होने और भागे भागे फिरने की क्या ज़रूरत है। और अल्लाह तआला दिलों के हालात व ख्यालात को खूब जानता है और अज़ाब व सवाब की कुन्जी उसी के हाथ में है और वह परवरदिगार निहायत करीम व रहीम है और वह हर जान पर उतना ही बोझ डालता है जो उसके बस की बात है।
और मुफ्तियाने किराम को चाहिये कि जब आसमान साफ़ हो तो एक दो बस्तियों के दस बीस लोगों के कहने से चाँद होने का फ़तवा न दें यह ही हुक्मे शरअ है और अब तो दुनियाँ में झूठे मक्कार फरेबकार धोखेबाज़ों की तादाद बहुँत ज़्यादा हो गई है। और खुदाये तआला से डरने वाले कम और न डरने वाले ज़्यादा हैं। आम लोगों को चाहिये कि सबर व सुकून से अपने अपने घरों में रहें भागे भागे न फिरें फोनबाजी न करें जो काम जिसका है उसको उसी पर छोड़ दें आलिमों, मुफ्तियों, मौलवियों को परेशान न करें कि देहली से ऐलान हो गया लखनऊ में चाँद हो गया। मैं कहता हूँ कि जब देहली और लखनऊ में चाँद होने का ऐलान हो गया तो आप वही जाकर ईद मना लें यहाँ लोगों को परेशान खासकर मौलवियों की नाक में दम न करो और आजकल बड़े बड़े शहरों में हुकूमत के चम्चे सरकारी मौलवी भी बहुत हैं वह अहकामे शरअ को पेश नज़र रखकर फ़तवे नहीं देते बल्कि हुकूमत के नुमाइन्दे आला अफ़सरान इनसे जब जो चाहते हैं लिखवा लेते हैं। खुदाये तआला इन सरकारी मौलवियों के फ़ितने से हर मुसलमान को महफूज़ फ़रमाये।
वह शख्स कि कद जिसका उन सबमें बड़ा था
देखा तो वही गैर के कदमों में पड़ा था
*📚रमज़ान का तोहफ़ा सफ़हा 34,35*
*✍️मौलाना ततहीर अहमद रज़वी बरेलवी*
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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
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