यह फैशन है या पागलपन

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*🥀 यह फैशन है या पागलपन 🥀*



✏️ ईद के दिन ख़ुदाये तआला दे तो अच्छे उम्दा साफ़ सुथरे या नये कपड़े पहनना मुस्तहब है लेकिन मौजूदा दौर के फैशनेबल कपड़ों से बचना ज़रूरी है अफ़सोस की बात है कि ईद एक खालिस इस्लामी त्यौहार है लेकिन इसके लिये भी आज के नौजवान लड़के लड़कियाँ ऐसे फैशनेबल कपड़े बनाते हैं कि जिनसे बेहयाई और बेशर्मी का इज़हार होता है पता नहीं इस मुसलमान को क्या हो गया है कि यह अब मज़हब को भी अपने दुनियवी शौक पूरे करने के लिये इस्तेमाल कर रहा है।

और आज का फैशन पागलपन से ज़्यादा नहीं। अजीब अजीब तरह के कपड़े पहने जाते हैं न जाने कैसी कैसी पैन्ट शर्ट और बनियाने चल पड़ी हैं पैन्टों का तो यह हाल है कि कोई हिसाब समझ में नहीं आता की ढीली की टाइट इनमें बेतुकी अजीब अजीब तरह की जेबें कभी कहीं और कभी कहीं लगाई जाती हैं नीची इतनी कि सड़क पर खूब झाडू लग रही है कहीं पेवन्द से लटक रहे हैं बाज़ पैन्टों को देखकर लगता है कि वह फट गई है जगह जगह टुकड़े निवाले और पेवन्द लगाकर जुगाड़बाजी कर ली गई है मगर फैशन के नाम पर सब हज़म है कितना ही बुरा बेढंगा कपड़ा है लेकिन अगर फैशन में आ गया तो सब सही है।

मैंने देखा है कि दुनियादार यहाँ तक कि गैर मुस्लिमों में भी जो ज़िम्मेदार किस्म के लोग होते हैं आला अफ़सरान या पूँजीपति लोग पैन्हें शर्ट भी पहनते हैं लेकिन वह ज़रा ढंग की होती हैं बेतुकी नीची न बेढंगी न बहुत टाइट न फुन्दने लटकती न घुटनों में जेबों वाली इससे ज़ाहिर हुआ कि फैशन एक हल्कापन है और अपने गैर ज़िम्मेदार होने का इज़हार और ज़्यादा फैशन में रंगे हुये स्मार्ट लड़कियाँ और लड़के अपनी वैल्यू गिराते हैं और लोगों की नजर में हलके होते हैं यह पागलपन नहीं तो और क्या है। कि दीन के भी ख़िलाफ़ और दुनिया में भी कोई वैल्यू नहीं लुच्चे, लफंगे, हल्के और गैरजिम्मेदार कहलाये जा रहे हैं।

और लड़कियों औरतों में जो फैशन चल रहा है उसका मतलब तो सिर्फ यह है कि जो जितनी ज्यादा नंगी कम से कम कपड़े में सबके सामने आ जाये वह ज़्यादा स्मार्ट और फैशने बिल है।

हुकूमत के जिम्मेदार लोग भी बेवकूफी का शिकार हैं। गुन्डागर्दी छेड़खानी रोकने के लिये अभियान चला रहे हैं लेकिन फैशनेबल लड़कियों को अपने जिस्मों की नुमाइश करते हुये सड़कों बाज़ारों में घूमने फिरने पर कोई पाबन्दी नहीं लगा रहे हैं यह गुन्डागर्दी और औरतों से छेड़खानी कभी नहीं रोक पायेगें इन्हें चाहिये कि यह कानून भी बनायें कि कोई लड़की घर से बेसख्त ज़रूरत न निकले और निकले तो ज़रा संभल कर और फैशन में रंगी हुई और अपने जिस्म की नुमाइश करती हुई न निकले।

मैं पूछता हूँ आखिर नंगे जिस्म लेकर घरों से निकलने और घूमने का मतलब क्या है यहीं न कि दुनिया के सब लोग हमें देखें और हमारे जिस्म का कोई हिस्सा किसी से छिपा न रह जाये तो आप जब खुद ही दावते नज़ारा दे रही हैं तो सिर्फ मनचलों के खिलाफ कानून साज़ी से क्या होगा यह अजीब बात है कि पेट्रोल के टैंक में चिराग और मोमबत्तियाँ जलाई जायें और फिर आग लगने से रोकने के लियें कानून बनाये जायें

*📚रमज़ान का तोहफ़ा सफ़हा 37,38,39*

*✍️मौलाना ततहीर अहमद रज़वी बरेलवी*
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